अल्हड बादल
अलहद बदल मतवाला
श्रीनिधि मिश्र
3/24/20231 min read
तू अल्हड बदल मतवाला
मै पछुवाई पवन चिरंतन हूँ
तू उड़ता फिरता इधर उधर
पर्वत से बचता छुप छुप कर
मै शेर सा विचरण करता हूँ
चालीसा से साठा तक
पर्वत नदिया ,सागर नाले
सब मेरे आगे नतमस्तक
अब चाहूँ तझे ले के चल दूँ
पर्वत पर जा के बरसा दूँ
तू क्या बादल क्या अल्हड़ता
सब कवियों का श्रंगार है बस
मै ओज हूँ , मै शक्ति हूँ
मै चिर अचिर अमर अजर
श्वेत श्याम , शीत ग्रीष्म
सौम्य शुष्क शाश्वत हूँ
मै पछुआ पवन हूँ |
-श्रीनिधि